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कैसे पायें कोलेस्ट्रॉल पर नियंत्रण

आज की भागदौड़ भरी ज़िदगी में कामयाबी के शिखर पर पहुँचने की चाहत हमें हमारे शरीर के प्रतिलापरवाह बना रही है। जिसके कारण हमारा रोज़ का खानपान और रहन सहन अनियमित हो गया औरहम तेज़ी से बहुत सी बिमारिओं से ग्रस्त होते जा रहे हैं। आज भारत में सबसे ज्यादा संख्या दिल केमरीज़ों की है, जो न सिर्फ बड़े - बुजुर्गों को हो रही है बल्कि युवाओं को भी तेजी से अपनी गिरफ्त में ले रहीहै। दिल की बिमारियों की मुख्य वजह होती है बढ़ता हुआ कोलेस्ट्रॉल, जिसे समय पर ही नियंत्रित नकिया जाये तो आगे चलकर दिल का दौरा पड़ने का कारण बनती है।



कोलेस्ट्रॉल हमारे शरीर में मौजूद एक प्रकार की चर्बी है, जो रक्त को शरीर के विभिन्न हिस्सों में पहुंचानेमें अहम भूमिका निभाता है। यह कोशिकाओं की झिल्ली और रक्त शिराओं में तरलता बनाए रखता है,साथ ही शरीर विटामिन डी, विभिन्न प्रकार के हार्मोन्स और पित्त का निर्माण करने में भी अहम भूमिकानिभाता है। कोलेस्ट्रॉल रक्त में घुलनशील नहीं होता, बल्कि रक्त के संचार को नियमित रखने के लिएएक चिकनाई युक्त सतह के रूप में कार्य करता है। यह दो तरह का होता है, एलडीएल (लो डेन्सिटीलिपोप्रोटीन) और एचडीएल (हाई डेन्सिटी लिपोप्रोटीन)। एलडीएल को साधरणतः लोग बुरा कोलेस्ट्रॉलऔर एचडीएल को अच्छा कोलेस्ट्रॉल नाम से जानतें हैं। अगर बुरे कोलेस्ट्रॉल की मात्रा रक्त में ज्यादा होजाये तो यह रक्त धमनियों की भीतरी सतह पर हानिकारक रूप से इकट्ठा होने लगता है और धीरे - धीरेसमय के साथ धमनियों को संकरा कर देता है, जिससे रक्त का प्रवाह सुचारु रूप से नहीं हो पाता औरकभी - कभी तो शरीर के किसी भी हिस्से में रक्त का प्रवाह पूरी तरह से रुक भी जाता है। जब यह रूकावटदिल की धमनियों में होती है तो इस अवस्था में हृदयाघात, दिल का दौरा या हार्ट अटैक होनेकी सम्भावना बहुत बढ़ जाती है। लेकिन ऐसा भी नहीं है की बढ़े हुए कोलेस्ट्रॉल को नियमित नहीं कियाजा सके, इसे आप अपनी जीवन शैली में थोड़ा बदलाव कर और कुछ आयुर्वेदिक दवाइयों या प्राकृतिकनुस्खों की सहायता से नियमित कर सकतें हैं।

हमारे आयुर्वेद विशेषज्ञों द्वारा रक्त में कोलेस्ट्रॉल की मात्रा नियमित करने के कुछ प्राकृतिक उपायबताये जा रहे, उन्हें आप प्रयोग करें और हृदयाघात या दिल का दौरा पड़ने के खतरे को दूर कर स्वस्थऔर खुशहाल जीवन व्यतीत करें।

प्राकृतिक उपाय जानने से पहले हम सभी को यहजान लेना चाहिए कि हमारा कोलेस्ट्रॉल के बिनाजीवित रहना बहुत मुश्किल है क्योंकि यह हमारे शरीर में कई महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। कोलेस्ट्रॉलहमारे शरीर में विटामिन डी के निर्माण में सहायता करता है और पित्त के निर्माण में भी महत्वपूर्णभूमिका निभाता है, जो हमारे शरीर में वसा के पाचन के लिये आवश्यक है। यह सेक्स हार्मोन जैसेएस्ट्रोजन और प्रोजेस्ट्रन आदि के निर्माण के लिए भी आवश्यक है। इसलिए यह कहना सही नहीं है किकोलेस्ट्रॉल युक्त खाद्य पदार्थों का सेवन बिलकुल बंद कर देना चाहिए, इनका सेवन करना चाहिएलेकिन सिमित मात्रा में।

1. प्याज का रस
प्याज का रस खून में कोलेस्ट्रॉल की मात्रा को कम करने के लिए सबसे उत्तम घरेलू उपाय है। प्रतिदिनदो - दो चम्मच प्याज का रस पीने से रक्त में कोलेस्ट्रॉल की मात्र नियंत्रित हो जाती है। आप रस केस्थान पर सम्पूर्ण प्याज का खाने के साथ सलाद के रूप में भी सेवन कर सकते हैं । प्याज का सेवन नसिर्फ कोलेस्ट्रॉल ही कम करता है, बल्कि नर्वस सिस्टम या कहें तंत्रिका - तंत्र को भी मजबूती देता है।

2. मैथी के दाने
रात में पानी से भरी तांबे की कटोरी में 10-20 ग्राम मैथी के दाने भिगो दें । सुबह नाश्ते के समय मैथी केदानों को अच्छी तरह चबाकर पानी सहित निगक लें । कुछ ही दिनों में मैथी के सेवन से आपकाकोलेस्ट्रॉल नियमित हो जायेगा। मैथी का निरंतर सेवन करना डायबिटीज के रोगियों के लिए भीफायदेमंद है।

3. लहसुन की कली

रोज़ सुबह उठते ही सबसे पहले खली पेट एक गिलास स्वच्छ जल के साथ लहसुन की एक छिलका रहितकली का सेवन करें। ऐसा करने से शीघ्र ही आपके कोलेस्ट्रॉल की मात्रा नियंत्रित ही जाएगी।

4. रेशेदार खाद्य पदार्थ
रेशेदार या फाइबर युक्त खाद्य पदार्थों का अधिक सेवन करें। ये कोलेस्ट्रॉल की मात्रा कम करने मेंसहायक है। अनाज में गेहूं, ज्वार, बाजरा, जई आदि का सेवन करें। यदि आप चाहें तो गेहूं और बाजरे केआटे को मिलाकर बनी चपाती भी खा सकते हैं। चोकर सहित आटे द्वारा पकाई गयी चपाती खाना अतिउत्तम है।

5. आयुर्वेदिक औषधीय योग
अर्जुन चूर्ण और गुग्गुल चूर्ण को सामान मात्रा में मिला लें और दिन में दो बार 1-1 चम्मच की मात्रा में स्वच्छ जल के साथ सेवन करें। यह आयुर्वेदिक योग निश्चित रूप में आपके कोलेस्ट्रॉल की मात्र कोनियमित करेगा। इस औषधीय योग के सेवन से आपके हृदय को भी बल प्राप्त होता है और दिल का दौरापड़ने की सम्भावना भी न के बराबर हो जाती है।


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Every Ayurvedic Physician in our national network is credentialed, certified, and highly experienced. In fact, they are your regular doctors. All of our providers undergo a rigorous credentialing process based upon guidelines set by the Central Council of Indian Medicine (CCIM). Additionally, Our doctors work tirelessly to ensure that each patient receives quality care, fast.

Note : we always provide consultation through experienced doctors having minimum 5 (five) years of experince in Ayurvedic clinical practice, directly from their clinics or hospitals (not from call centers).

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