आजकल पॉलीसिस्टिक ओवरी की समस्या युवतियों में बढ़ती जा रही है। इसका मुख्य कारण अनियमित जीवनशैली एवं अधिक फास्ट फूड का सेवन करना है। पढ़ाई के कारण रात में अधिक देर तक पढ़ने के कारण लाइफ स्टाइल बदल जाती है। इससे पीरियड से संबंधित समस्याएं भी शुरू हो जाती हैं।
क्या है यह समस्या
इस रोग में पीरियड हर महीने आने के बजाय 45 दिनों में या दो महीने में एक बार आता है। यह समस्या किशोरियों में अधिक होती है। किशोरी जब 20 वर्ष की हो जाती है या उसकी शादी हो जाती है, तो यह समस्या खुद-ब-खुद ठीक हो जाती है।
लक्षण
यह समस्या होने पर ओवरी में सूजन हो जाती है। सूजन के कारण वजन भी बढ़ जाता है।
चेहरे पर बाल निकलने लगते हैं। ऐसे लक्षण दिखते ही तुरंत चिकित्सक से मिल कर इलाज कराना चाहिए। इसकी पुष्टि अल्ट्रासाउंड व खून की जांच से की जाती है। ऐसी किशोरियों में संतान न होने की आशंका बढ़ जाती है या फिर देर से होती है। इलाज में छह से नौ महीने का समय लगता है।
कई बार तो यह समस्या ठीक भी नहीं होती है, जिससे मानसिक तनाव भी होने लगता है कि शादी के बाद मां बन पायेगी या नहीं. ऐसे में शीघ्र मां बनना ही इसका निदान है। गर्भवती होते ही यह रोग अपने आप चला जाता है। इस रोग के दौरान योनि से बदबूदार स्राव होने की भी शिकायत होती है। अत: इलाज जरूर करवाना चाहिए। आमतौर पर इसके बारे किशोरियों के बीच जानकारी का भी अभाव होता है।
उपचार :
इस रोग में आयुर्वेदिक दवा बहुत ही कारगर होती है. धैर्य के साथ इसका इलाज करवाना पड़ता है। चंद्रप्रभावटी दो-दो गोली दो बार पानी के साथ तथा पुष्यानुग चूर्ण आधा-आधा चम्मच दो बार पानी के साथ लेने से लाभ मिलता है। साथ में लोध्रासव दो-दो चम्मच दो बार पानी के साथ लेने से अधिक रक्तस्रावाले मासिक में लाभ मिलता है। फास्ट फूड से परहेज करें।
दिनचर्या ठीक रखें।
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कुछ अन्य समस्याएं
मासिक चक्र 28 दिनों का होता है, लेकिन हर महिला में यह अलग-अलग हो सकता है। बीच-बीच में चार दिन कम या ज्यादा होना किसी रोग का लक्षण नहीं है। यह समस्या अपनेआप ही ठीक हो जाती है। मगर कुछ किशोरियों में दर्द के साथ मासिक आने की समस्या हो जाती है।
कभी-कभी दर्द के लिए दवा तक लेनी पड़ती है। अगर लगातार कष्ट के साथ मासिक हो रहा हो, तो वैसी स्थिति में डॉक्टर से सलाह लेनी जरूरी है। करीब 60% महिलाओं में इसके कारण पेट में दर्द होता है। अगर लगातार पेट में दर्द के साथ मासिक होता है, तो 10 ग्राम शंख भस्म में सरसों के दाना के बराबर हींग मिला लें। अब इसमें गुड़ मिला कर मटर के समान गोली बना लें। इस गोली को मासिक के समय गुनगुने पानी के साथ सेवन करें। इससे दर्द में आराम मिलता है। यह एक घरेलू इलाज है और इसका कोई साइड इफेक्ट नहीं है। कुछ किशोरियों में मासिक के समय अधिक रक्तस्राव होता है।
5-10% लड़कियां इस प्रकार की समस्या से पीड़ित होती हैं। प्राय: समस्या उन्हें होती है, जिनकी मां में यह समस्या होती है. डॉक्टर लोध्रासव दो-दो चम्मच समान जल से लेने की सलाह देते हैं। इससे समस्या दूर हो जाती है। कुछ युवतियों में महीने में तीन-चार बार मासिक होता है। अशोकारदिक सिरप दो-दो चम्मच समान जल से लेने से लाभ होता है। इसका इलाज जल्द-से-जल्द कराना चाहिए, अन्यथा किशोरियों में खून की कमी हो जाती है। कभी-कभी खून भी चढ़ाना पड़ता है।
क्या है यह समस्या
इस रोग में पीरियड हर महीने आने के बजाय 45 दिनों में या दो महीने में एक बार आता है। यह समस्या किशोरियों में अधिक होती है। किशोरी जब 20 वर्ष की हो जाती है या उसकी शादी हो जाती है, तो यह समस्या खुद-ब-खुद ठीक हो जाती है।
लक्षण
यह समस्या होने पर ओवरी में सूजन हो जाती है। सूजन के कारण वजन भी बढ़ जाता है।
चेहरे पर बाल निकलने लगते हैं। ऐसे लक्षण दिखते ही तुरंत चिकित्सक से मिल कर इलाज कराना चाहिए। इसकी पुष्टि अल्ट्रासाउंड व खून की जांच से की जाती है। ऐसी किशोरियों में संतान न होने की आशंका बढ़ जाती है या फिर देर से होती है। इलाज में छह से नौ महीने का समय लगता है।
कई बार तो यह समस्या ठीक भी नहीं होती है, जिससे मानसिक तनाव भी होने लगता है कि शादी के बाद मां बन पायेगी या नहीं. ऐसे में शीघ्र मां बनना ही इसका निदान है। गर्भवती होते ही यह रोग अपने आप चला जाता है। इस रोग के दौरान योनि से बदबूदार स्राव होने की भी शिकायत होती है। अत: इलाज जरूर करवाना चाहिए। आमतौर पर इसके बारे किशोरियों के बीच जानकारी का भी अभाव होता है।
उपचार :
इस रोग में आयुर्वेदिक दवा बहुत ही कारगर होती है. धैर्य के साथ इसका इलाज करवाना पड़ता है। चंद्रप्रभावटी दो-दो गोली दो बार पानी के साथ तथा पुष्यानुग चूर्ण आधा-आधा चम्मच दो बार पानी के साथ लेने से लाभ मिलता है। साथ में लोध्रासव दो-दो चम्मच दो बार पानी के साथ लेने से अधिक रक्तस्रावाले मासिक में लाभ मिलता है। फास्ट फूड से परहेज करें।
दिनचर्या ठीक रखें।
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कुछ अन्य समस्याएं
मासिक चक्र 28 दिनों का होता है, लेकिन हर महिला में यह अलग-अलग हो सकता है। बीच-बीच में चार दिन कम या ज्यादा होना किसी रोग का लक्षण नहीं है। यह समस्या अपनेआप ही ठीक हो जाती है। मगर कुछ किशोरियों में दर्द के साथ मासिक आने की समस्या हो जाती है।
कभी-कभी दर्द के लिए दवा तक लेनी पड़ती है। अगर लगातार कष्ट के साथ मासिक हो रहा हो, तो वैसी स्थिति में डॉक्टर से सलाह लेनी जरूरी है। करीब 60% महिलाओं में इसके कारण पेट में दर्द होता है। अगर लगातार पेट में दर्द के साथ मासिक होता है, तो 10 ग्राम शंख भस्म में सरसों के दाना के बराबर हींग मिला लें। अब इसमें गुड़ मिला कर मटर के समान गोली बना लें। इस गोली को मासिक के समय गुनगुने पानी के साथ सेवन करें। इससे दर्द में आराम मिलता है। यह एक घरेलू इलाज है और इसका कोई साइड इफेक्ट नहीं है। कुछ किशोरियों में मासिक के समय अधिक रक्तस्राव होता है।
5-10% लड़कियां इस प्रकार की समस्या से पीड़ित होती हैं। प्राय: समस्या उन्हें होती है, जिनकी मां में यह समस्या होती है. डॉक्टर लोध्रासव दो-दो चम्मच समान जल से लेने की सलाह देते हैं। इससे समस्या दूर हो जाती है। कुछ युवतियों में महीने में तीन-चार बार मासिक होता है। अशोकारदिक सिरप दो-दो चम्मच समान जल से लेने से लाभ होता है। इसका इलाज जल्द-से-जल्द कराना चाहिए, अन्यथा किशोरियों में खून की कमी हो जाती है। कभी-कभी खून भी चढ़ाना पड़ता है।